8TH SEMESTER ! भाग- 141( Eye for An Eye-10)
"वो..वो गेम खेल रही थी मोबाइल पे और जब तुमने कॉल किया तो सोचा कि ये वाला स्टेज पहले ख़त्म कर लूँ..फिर तुमसे बात करती हूँ"
"तो कर लिया स्टेज ख़त्म..??."
"नो...गेम ओवर हो गया 😪 "
"लोल ."हँसते हुए मैने कहा"एक बात बता, तू खाना बना लेती है ना..."
"उम्म्म...ना"
"क्या.... तुझे खाना बनाना नही आता..."जबर्जस्त तरीके से मैं चौका और एक दम से खड़ा हो गया..
"किसी ने कभी सिखाया ही नही..."
"तो सीख ले, वरना बहुत मारूँगा "
"तुम मज़ाक कर रहे हो ,राइट"
"रॉंग, मैं एक दम से सीरीयस हूँ...."
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"ले बे ठूंस ले..."एक प्लेट मेरे हाथ मे पकड़ाते हुए वरुण बोला"जब तक मेरे साथ है खाना खा ले,बाद मे तो तुझे खुद से ही बना कर खाना पड़ेगा..."
"निशा, मैं बाद मे कॉल करता हूँ...तब तक तू गेम खेल "
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निशा से बात करने के बाद मैने अपना पेट भरा और जब पेट भर गया तो मैं बोला...
"साले कितना बेकार खाना बनाते हो बे, शरम करो... क्या गुंडा बनोगे ऐसे मे "
"देख बेटा, ऐसा है कि ज़्यादा बोलेगा तो रात का खाना तुझे ही बनाना पड़ेगा...."
"मैं तो मज़ाक कर रहा था... "जब रात के खाना बनाने की तलवार मुझ पर अटकी तो मैने तुरंत जवाब दिया .
अरुण और वरुण ,जब खाना खा चुके तो मैने अपनी याददाश्त को वही से प्ले किया जहाँ पर कुछ देर पहले pause किया था
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उस दिन पार्किंग मे दीपिका मैम को मैने जो धमकी दी थी ,उसका उसपर बहुत गहरा असर हुआ. मेरी धमकी इतनी असरदार थी कि उसी दिन शाम को जब हम लोग हॉस्टल मे बैठकर कैरम खेल रहे थे तो विभा ने मुझे कॉल किया. विभा की कॉल देखकर सबसे पहले मेरे शरीर के मेन पॉइंट ने रिएक्ट किया और फिर बाद मे मेरे हाथ ने....
"साला,कोई गद्दारी कोई नही करेगा मैं अभी आया..."
मैने कैरम का गेम छोड़ा और रूम से बाहर आकर विभा की कॉल रिसीव किया....
"अरमान, मैं विभा..."
"विभा, मैं अरमान..."
"अरमान, तुम मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो..."
"काम क्या है ये बोल, अभी अपुन भारी बिज़ी है..."
"वो मुझे कहना था कि तुम...मैं तुमसे कहना चाहती हूँ कि...आक्च्युयली मुझे बहुत इंपॉर्टेंट बात करनी है,आइ होप कि तुम बुरा नही मनोगे..."
"Yeah..यू होप की....कि मैं बुरा ना मानु... वरना "
"वो मुझे दीपिका ने कॉल करने को कहा था, वो अपने किए पर बहुत शर्मिंदा है और उसने कहा है कि यदि तुम सब कुछ भूल जाओ तो तुम दोनो के बीच पहले वाला रीलेशन हो जाएगा "इतना बोलकर विभा चुप हो गयी और मैं उसके कुछ और कहने का इंतज़ार करने लगा "और तुम्हारी टीचर होने मे नाते , मैं तुम्हे सलाह देती हूँ कि तुम्हे दीपिका मैम की बात मान लेनी चाहिए...क्यूंकी फालतू मे लड़ने का कोई फ़ायदा नही है..."
मैं कुछ देर के लिए चुप रहा... एक तरफ अपना खून याद आ रहा था तो दूसरी तरफ दीपिका मैका जिस्म... बडी उलझन मे फंसा हुआ था मै उस वक़्त की.. कि क्या चूज़ करू... दीपिका मैम को छोड़ दू या फिर उन्हें ठोक दू...??
"Arman, You there....??"
"ओके..."
"क्या.."
"ठीक है ,मुझे मंजूर है...लेकिन.."
"थैंक्स ..."विभा बीच मे बोल पड़ी
"लेकिन मेरी एक शर्त है और वो शर्त ये है कि... तुझे मेरे साथ सेक्स करना पड़ेगा और एलेक्ट्रिकल ब्रांच मे जो नयी मैम आई है ,उसे भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए उसे राज़ी करना पड़ेगा... तुम दोनों और दीपिका तीनो एक साथ, एक समय मे.... फिर अपुन एक स्टोरी लिखेगा... Three Girls of My Life....."
"तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है ,क्या... क्या बेहूदगी है, ये "
"दिमाग़ तो बहुत पहले से खराब है मैम... आप ही ने तो शुरुआत की थी रैगिंग लेकर... भूल गई क्या..?? और उस R. दीपिका को बोल देना कि वो अपने जिस्म का लालच देकर मुझसे बच नही सकती.. उससे ये भी कहना कि मैं जब चाहू, उसकी जैसी एक नहीं... कई माल पटा सकता हूँ लेकिन वो मेरे जैसा लौंडा नही पटा सकती, क्यूंकि मेरे जैसा कोई है ही नहीं... एकदम एंटीक पीस हूँ मै... 😎 यहाँ तक की उसका प्रेज़ेंट टाइम मे जो बाय्फ्रेंड है ,वो आकर मुझे सर...सर कहते रहता है...."
"...mind your language "
"And you.. Mind your business... ज्यादा नेतागिरी मत झाड़ .. वरना सबसे पहले तुझे पटक के पेलुँगा FM कि लैब मे... .चल अब फोन रख, वरना तेरी भी बेज़्जती कर दूँगा..."
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उसके बाद विभा ने कॉल रख दिया .एग्जाम नज़दीक होने कारण कॉलेज मे प्रेपरेशन लीव लग गया था ... जिसके कारण अब हमारा सारा दिन हॉस्टल मे ही बीत रहा था... ऐसे ही एक दिन ,सुबह-सुबह जब मैं गहरी नींद मे था तो किसी ने रूम का दरवाजा बहुत ज़ोर से पीटा...
"कौन है बे सूअर की औलाद .."सौरभ ने गुस्से मे कहा और तकिये से अपना कान ढक लिया
"भाग जा वरना ,जहाँ छेद दिखेगा वही घुसाउँगा .."अरुण ने भी गुस्से मे कहा और तकिये से अपने कान को ढक लिया...
"भाग जा वरना, अपना हथियार फेक के मारूंगा तो तेरा पूरा खानदान प्रेग्नेंट हो जायेगा .."मैने भी तकिये से कान को ढकते हुए कहा...
"अरे मैं हूँ, राजश्री पांडे..."
"अरे ये तो भाई है ,अपना.." सौरभ बोला..
"अरे ये तो यार है अपना... जूनियरों से पैसे ऐंठ कर सिगरेट पिलाता है ."अरुण भी सुर मे सुर मिलाते हुए बोला
"अरे ये तो प्यार है अपना,.."दरवाजा खोलते हुए मैने कहा"क्यूँ बे लोलू..., पहले नाम बता देता तो क्या होता...और तू साले इतनी सुबह कर क्या रहा है.... इतनी सुबह कैसे उठ जाते हो तुम लोग "
"आपको वो टॉप मोस्ट ब्रेकिंग न्यूज़ पता चली या नही..."
"कौन सी ब्रेकिंग न्यूज़..."आँख मलते हुए और उबाई लेते हुए मैने पुछा...
"दीपिका मैम को प्रिन्सिपल ने लाइफ टाइम के लिए कॉलेज से निकाल दिया और साथ ही करैक्टर सर्टिफिकेट पे एडल्टरी का ठप्पा लगा दिया.. अब वो किसी दूसरे कॉलेज मे जाएगी भी पढ़ाने तो उसे कोई नहीं रखने वाला ..."
"हो गया ,अब चल निकल यहाँ से..."
"क्या अरमान भाई.... मैने सोचा था कि आप बहुत खुश होंगे..."
"दिल पे मत ले, अब चल जा यहाँ से..."
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राजश्री पांडे को भगाने के बाद मैने दरवाजे को उपर से,नीचे से और बीच से बंद करके पीछे मुड़ा तो देखा कि अरुण और सौरभ अपने पूरे शरीर को चादर से लपेटे हुए मुझे देख रहे थे और साथ मे मुझे घूर भी रहे थे....
"सॉरी यार ! मैने तुम लोगो को मेरे इस प्लान के बारे मे नही बताया था...लेकिन प्लान सक्सेस्फुल हो गया,इसलिए आज पार्टी...... अरुण देगा "
shweta soni
27-Jul-2022 03:40 PM
Bahut achhi rachana
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